बुधवार, 3 नवंबर 2010

अहंकार परमात्मा का प्रतिबिंब है


सभी धर्म तुमसे अपने अहंकार को छोड़ने के बाबत कहते रहे हैं, लेकिन यह एक बड़ी विचित्र बात है: वे चाहते हैं, तुम अपना अहंकार छोड़ दो, और अहंकार सिर्फ परमात्मा की छाया की है। परमात्मा पूरे विश्व का अहंकार है, अहंकार तुम्हारा व्यक्तित्व है। धर्मों के अनुसार जैसे परमात्मा इस अस्तित्व का केंद्र है, इसी भांति अहंकार, तुम्हारे व्यक्तित्व और तुम्हारे मन का भी केंद्र है। वे सभी अहंकार को छोड़ने की बात कर रहे हैं, लेकिन यह तब तक नहीं छोड़ा जा सकता है, जब तक कि परमात्मा को ही न छोड़ दिया जाए। तुम एक छाया या प्रतिबिंब को तब तक नहीं छोड़ सकते जब तक कि उसके प्रत्यक्ष स्रोत को ही नष्ट न कर दिया जाए।

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