रविवार, 24 अक्तूबर 2010

हमारे भीतर एक ही अस्तित्व है,


योग का कहना है कि हमारे भीतर शरीर और मन, ऐसी दो चीजें नहीं हैं। हमारे भीतर चेतन और अचेतन, ऐसी दो चीजें नहीं हैं। हमारे भीतर एक ही अस्तित्व है, जिसके ये दो छोर हैं। और इसलिए किसी भी छोर से प्रभावित किया जा सकता है। तिब्बत में एक प्रयोग है, जिसका नाम हीट-योग है, उष्णता का योग। वह तिब्बत में सैकड़ों फकीर हैं ऐसे जो नंगे बर्फ पर बैठे रह सकते हैं और उनके शरीर से पसीना चूता रहता है। इस सबकी वैज्ञानिक जांच-परख हो चुकी है। इस सबकी डाक्टरी जांच-परख हो चुकी है। और चिकित्सक बड़ी मुश्किल में पड़ गए हैं कि यह क्या हो रहा है? एक आदमी बर्फ पर बैठा है नंगा, चारों तरफ बर्फ पड़ रही है, बर्फीली हवाएं बह रही हैं, और उसके शरीर पर पसीना बह रहा है! क्या हुआ है इसको? यह आदमी योग के सूत्र का प्रयोग कर रहा है। इसने मन से मानने से इनकार कर दिया कि बर्फ पड़ रही है। यह आंख बंद करके यह कह रहा है, बर्फ नहीं पड़ रही है। यह आंख बंद करके कह रहा है कि सूरज तपा है और धूप बरस रही है। और यह आदमी आंख बंद करके कह रहा है कि मैं गरमी से तड़पा जा रहा हूं। शरीर उसका अनुसरण कर रहा है, वह पसीना छोड़ रहा है।

आगे पढ़े ............. यहाँ क्लिक करे

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें