रविवार, 24 अक्तूबर 2010

अकेले आए हैं, और हम अकेले जाएंगे


सदियों से यह बार-बार कहा जाता है। सारे धार्मिक लोग यह कहते रहे हैं: "हम इस जगत में अकेले आए हैं, और हम अकेले जाएंगे।' सारा साथ होना माया है। साथ होने का विचार ही इस कारण आता है क्योंकि हम अकेले हैं, और अकेलापन तकलीफ देता है। हम अपने अकेलेपन को रिश्ते में डुबो देना चाहते हैं...इसी कारण हम प्रेम में इतना उलझ जाते हैं। इस बिंदु को देखने की कोशिश करो। सामान्यतया तुम सोचते हो कि तुम पुरुष या स्त्री के प्रेम में पड़ गए क्योंकि वह सुंदर है। यह सत्य नहीं है। सत्य इसके ठीक विपरीत है: तुम प्रेम में पड़े क्योंकि तुम अकेले नहीं रह सकते। तुम्हें गिरना ही पड़ेगा। तुम अपने को इस या उस तरह से टालने ही वाले थे। और यहां ऐसे लोग हैं जो स्त्री या पुरुष के प्रेम में नहीं पड़ते--तब वे धन के प्रेम में पड़ते हैं। वे धन की तरफ या शक्ति की तरफ जाने लगते हैं, वे राजनेता बन जाते हैं। वह भी तुम्हारे अकेलेपन को टालना है। यदि तुम मनुष्य को देखो, यदि तुम स्वयं को गहराई से देखो, तुम आश्चर्यचकित होओगे--तुम्हारी सारी गतिविधियों को एक अकेले स्रोत में सिकोड़ा जा सकता है। स्रोत यह है कि तुम अपने अकेलेपन से डरते हो। बाकी सारी बातें तो बहाने मात्र हैं। वास्तविक कारण यह है कि तुम अपने को बहुत अधिक अकेला पाते हो।

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